पुण्यतिथि पर याद किए गए डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

पुण्यतिथि पर याद किए गए मास्टर जी डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी बक्शी जी का जीवन अनुकरणीय व साहित्य सदैव प्रेरक रहेगा इकरा व शांतिदूत के संयोजन में हुआ संगोष्ठी सह-पुरस्कार वितरण पुण्यतिथि पर निबंध लेखन के लिये पुरस्कृत हुए जिले के 188 विद्यार्थी

पुण्यतिथि पर याद किए गए  डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

पुण्यतिथि पर याद किए गए मास्टर जी डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

 बक्शी जी का जीवन अनुकरणीय व साहित्य सदैव प्रेरक रहेगा

 इकरा व शांतिदूत के संयोजन में हुआ संगोष्ठी सह-पुरस्कार वितरण

 पुण्यतिथि पर निबंध लेखन के लिये पुरस्कृत हुए जिले के 188 विद्यार्थी

वनांचल के ठाकुरटोला निवासी छात्र पंकज को मिला प्रथम पुरस्कार

खैरागढ़ छुईखदान गंडई =-=साहित्य वाचस्पति डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी की 52वीं पुण्यतिथि पर विचार संगोष्ठी के साथ निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेता छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया. अतिथि एवं मुख्यवक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार व जन कवि डॉ.जीवन यदु, विशेष वक्ता के रूप में खैरागढ़ विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ.राजन यादव व अतिथि वक्ता के रूप में बख्शी जी के पौत्र व समाजसेवी श्रीमन नारायण बख्शी व शा. कन्या महाविद्यालय खैरागढ़ की अ.प्राध्यापक डॉ.मेधाविनी तुरे विशेष तौर पर छात्रों के उत्साहवर्धन के लिये उपस्थित थे. खैरागढ़ अंचल की सेवाभावी संस्था इकरा फाउंडेशन व शांतिदूत संस्था के संयोजन में बख्शी जी की पुण्यतिथि पर अम्बेडकर चौक परिसर में समारोह आयोजित किया गया जहां निबंध प्रतियोगिता में शामिल जिले के 188 छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया वहीं वहीं पुण्यतिथि समारोह में अतिथि वक्ताओं ने बख्शी जी के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला.

बड़े साहित्यकारों के साथ जुड़ जाती हैं कि किवदंतियां- डॉ.यदु

समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ.जीवन यदु ने कहा कि हर बड़े साहित्यकार के साथ किवदंतियां जुड़ जाती हैं बख्शी जी के साथ भी ऐसा ही हुआ. डॉ.यदु ने कुछ रोचक किवदंतियों की जानकारी छात्रों को देते हुए इससे बचने कहा वहीं देश की जानी मानी कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान से उनके आत्मीय संबंधों व उनके खैरागढ़ प्रवास के संस्मरण को बताया. उन्होंने बताया कि सरस्वती पत्रिका के संपादक के रूप में बख्शी जी ने शुरुआती दौर में राष्ट्रकवि सुमित्रानंदन पंत व महाप्राण कवि निराला की रचनाओं को भी छापने से मना कर दिया था. इन संस्करणों के माध्यम से डॉ.यदु ने विद्यार्थियों का साहित्य सृजन के लिए मार्गदर्शन किया. विशेष वक्ता के रूप में डॉ.राजन यादव ने बख्शी जी के समूचे जीवन को अनुकरणीय बताया एवं उनके जीवन प्रसंग को सामने रखते हुए प्रेरक जानकारियां दी. डॉ.यादव ने बताया कि बख्शी जी कभी विद्यालय चप्पल जूते पहन कर नहीं जाते थे. भी मानते थे कि विद्यालय से बड़ा मंदिर कोई नहीं. गुरु शिष्य संबंधों का अद्भुत संस्मरण सुनाते हुये उन्होंने बताया कि खैरागढ़ के पूर्व विधायक स्व.विजय लाल जी ओसवाल बख्शी जी के अभिन्न शिष्य थे. अंतिम समय में जब बख्शी जी का मुंबई में उपचार चल रहा था तब ओसवाल जी उनकी उल्टियां को अपने हाथ में ले लिया करते थे. उसे समय चिकित्सकों को भ्रम था कि विजय लाल जी बख्शी जी के पुत्र होंगे पर आखिर में जब पता चला कि वह उनके शिष्य हैं तो सभी अचंभित रह गए और गुरु के प्रति शिष्य के सेवा भाव को देखकर लोग अभिभूत हो गये.

मोहरा मेला में लगा था बख्शी जी पर चोरी का आरोप

समारोह में उपस्थित बख्शी जी के पौत्र व समाजसेवी श्रीमन नारायण बख्शी ने अपने दादा के साथ बचपन का संस्मरण सुनाते हुये बताया कि जब वे लगभग 5-6 साल के थे तब कार्तिक पूर्णिमा में लगने वाले मोहरा मेला में बख्शी जी पर एक ग्रामीण महिला ने जेवर चोरी का आरोप लगाया था. बस में खैरागढ़ से राजनांदगांव जाते हुये ठेलकाडीह के पास एक महिला अपने बेटे के साथ बस में सवार हुई. बस में भीड़ होने के कारण उन्हें सीट नहीं मिली. बच्चा रोने लगा और बैठने की जिद करने लगा. तब बख्शी जी ने उस बच्चों को अपने गोद में बिठाकर अपने शॉल में करुणावश गोद में छिपा लिया लेकिन मोहरा मेला पहुंचने के बाद वह महिला गुस्से में बख्शी जी के पास आयी और चोरी का आरोप लगाते हुये कहा कि तुमने मेरे बच्चे के गले का लॉकेट चुरा लिया है. यह सुनकर बख्शी जी स्तब्ध रह गये और पास ही बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई. बख्शी जी को पहचानने वाले लोग उनके समर्थन में खड़े हो गये पर बख्शी जी शांत रहे और महिला को समझाते रहे. आखिर में उस महिला के बच्चे ने बताया कि उसी ने गले के लॉकेट को निकालकर जेब में रख लिया था क्योंकि लॉकेट चुभ रहा था. इस संस्मरण को लेकर बख्शी जी के पौत्र श्रीमन नारायण ने कहा कि कई बार हमारी करुणा की परीक्षा लेने के लिये ईश्वर हमें परेशान करता है पर हमें विचलित नहीं होना चाहिये क्योंकि सत्य कभी छुप नहीं सकता. अतिथि वक्ता के रूप में डॉ.मेधाविनी तुरे बख्शी जी के जीवन के अनछुये पहलुओं की जानकारी देते हुये बख्शी जी के साहित्य में राष्ट्रीय चेतना व वसुधैव कुटुंबकम के भाव को सामने रखा है. इस दौरान डॉ. मेधाविनी ने बख्शी जी पर शोध प्राप्त शिक्षिका डॉ.निकेता सिंह का नवीन जानकारी से ओत-प्रोत शोध वक्तव्य पढ़ा. इकरा फाउंडेशन के अध्यक्ष मो.खलील कुरैशी ने स्वागत वक्तव्य देते हुये प्रतिवर्ष ऐसे आयोजन करने का संकल्प पारित किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुये शांतिदूत संस्था के संयोजक अनुराग शांति तुरे ने छात्रों को प्रेरित किया और बताया कि अगले वर्ष बख्शी जी की स्मृति में मुक्तिबोध जी पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. सहयोग शांतिदूत के सहसंयोजक याहिया नियाजी का रहा. आभार वक्तव्य देते हुए समाजसेवी वह जिला पंचायत राजनांदगांव के सभापति विप्लव साहू ने आयोजन पर विचार रखें.

इस अवसर पर इकरा व शांतिदूत संस्था द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया.

उत्कृष्ट निबंध लेखन के लिये पंकज, माही व यामिनी सहित विद्यार्थियों को किया गया पुरस्कृत

बख्शी जी का हिन्दी साहित्य में योगदान विषय पर आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर वनांचल के ठाकुर टोला स्कूल के छात्र पंकज जंघेल को प्रथम पुरस्कार मिला जिसे बुद्धवासी लखन लाल तुरे की स्मृति में श्रीमती शांति तुरे द्वारा 2001₹ व प्रशस्ति पत्र दिया गया वहीं द्वितीय स्थान पर बख्शी स्कूल की छात्रा कु.माही साहू को मरहूम मोहसिन खान की स्मृति में समाजसेवी मोइन खान द्वारा 1601₹ व प्रशस्ति पत्र, तृतीय स्थान पर स्वामी आत्मानंद स्कूल की छात्रा कु.यामिनी निषाद को 1101₹ व प्रशस्ति

पत्र देकर सम्मानित किया गया साथ ही छात्रा द्रोपती निषाद, टिंकल टांडेकर, उत्कर्ष जोशी व कु.भूमिका तिवारी को विशेष सांत्वना पुरस्कार के रूप में उपहार स्वरूप लेखन-पठन सामग्री व प्रशस्ति पत्र दिया गया. इस अवसर पर साहित्यकार गुरु गुप्ता, शिक्षिका किरण सिंह, सविता यादव, डॉ. मकसूद, पदमा साहू पर्वणी, दावेन देशमुख, उमेंद पटेल, रवि वैष्णव, सविता वैष्णव, संस्था के वरिष्ठ समशुल होदा खान, अधिवक्ता नीरज झा, अमीन मेमन, सूरज देवांगन, मंगल सारथी, चंद्रकांत बिदानी, रवि रजक, निलेश यादव, मनोहर सेन, राजेंद्र यादव, मास्टर रूशील सहित बड़ी संख्या में संस्थाओं से जुड़े सेवाभावी मौजूद थे.