शहर से बाहर गया हॉस्पिटल इलाज से दूर हो रहे नगरवासी
शहर से बाहर गया हॉस्पिटल इलाज से दूर हो रहे नगरवासी दूरी, दिशा और असुविधा बनी कारण, पुराने हॉस्पिटल के भविष्य को लेकर गहरी चिंता छुईखदान == नगरवासियों के लिए वर्षों तक भरोसे और सुविधा का केंद्र रहा पुराना सरकारी हॉस्पिटल अब शहर से बाहर चला गया है।
शहर से बाहर गया हॉस्पिटल इलाज से दूर हो रहे नगरवासी
दूरी, दिशा और असुविधा बनी कारण, पुराने हॉस्पिटल के भविष्य को लेकर गहरी चिंता
छुईखदान == नगरवासियों के लिए वर्षों तक भरोसे और सुविधा का केंद्र रहा पुराना सरकारी हॉस्पिटल अब शहर से बाहर चला गया है। पुराने हॉस्पिटल स्थल के स्थान पर नव निर्मित 50 बिस्तर अस्पताल को नगर सीमा से लगभग दो किलोमीटर दूर स्थापित किए जाने के बाद आम नागरिकों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। दूरी अधिक होने और अस्पताल की दिशा नगर के मुख्य मार्ग से विपरीत होने के कारण अब लोग नए हॉस्पिटल जाने से कतराने लगे हैं।
नगर का पुराना हॉस्पिटल शहर के हृदय स्थल में स्थित था। बस स्टैंड से समीप होने के कारण मरीजों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और गरीब वर्ग के लिए वहां पहुंचना आसान था। ऑटो, बस और निजी वाहनों की सहज उपलब्धता के चलते दिन-रात मरीजों का आना-जाना बना रहता था। नगरवासी इस हॉस्पिटल को केवल इलाज का केंद्र नहीं, बल्कि अपनी सुरक्षा और भरोसे का स्थान मानते थे।
नया 50 बिस्तर अस्पताल नगर से बाहर होने के कारण विशेषकर बुजुर्गों, महिलाओं और दैनिक मजदूरी करने वालों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सार्वजनिक परिवहन की सीमित सुविधा, निजी वाहन न होने और अतिरिक्त खर्च के कारण अब कई लोग इलाज के लिए छुईखदान के बजाय खैरागढ़ और राजनांदगांव की ओर रुख करने लगे हैं। इससे न केवल समय और धन की हानि हो रही है, बल्कि आपात स्थिति में जान का खतरा भी बढ़ गया है।
नगरवासियों का कहना है कि पुराने हॉस्पिटल के नगर के बीच में होने से समाज का हर वर्ग इससे जुड़ा हुआ था। व्यापारी, छात्र, श्रमिक और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीज आसानी से इलाज करा पाते थे। लेकिन अब नया हॉस्पिटल शहर से बाहर होने के कारण आमजन और स्वास्थ्य सेवाओं के बीच दूरी बढ़ गई है।
इस बीच, पुराने हॉस्पिटल भवन को लेकर भी नगरवासियों में गहरी चिंता व्याप्त है। लोगों को आशंका है कि कहीं वर्षों से जनता की सेवा में रहा यह हॉस्पिटल भवन अब निष्क्रिय होकर किसी अधिकारी का आवास या बंगला न बना दिया जाए। यदि ऐसा हुआ तो यह नगरवासियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा और जनता के हितों के विपरीत होगा।
नगर के जागरूक नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि पुराने हॉस्पिटल परिसर में सिविल अस्पताल, मोहल्ला क्लिनिक, प्राथमिक उपचार केंद्र या मातृ-शिशु स्वास्थ्य इकाई की स्थापना की जाए। इससे नगर के भीतर रहने वाले नागरिकों को प्राथमिक उपचार, जांच और परामर्श की सुविधा मिल सकेगी तथा उन्हें हर छोटी बीमारी के लिए शहर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।




नगरवासियों का कहना है कि यदि पुराने हॉस्पिटल में पुनः स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की जाती हैं, तो यह जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और नगर को बड़ी राहत देगा। उन्होंने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि जनहित को प्राथमिकता देते हुए पुराने हॉस्पिटल को स्वास्थ्य सेवा केंद्र के रूप में ही बनाए रखा जाए।