विश्व जूनोसिस दिवस पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेबिनार का आन लाइन आयोजन
विश्व जूनोसिस दिवस पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेबिनार का आन लाइन आयोजन बरसात में सतर्कता जरूरी,, डॉ आशीष शर्मा
विश्व जूनोसिस दिवस पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेबिनार का आन लाइन आयोजन
बरसात में सतर्कता जरूरी,, डॉ आशीष शर्मा
खैरागढ़ छुईखदान गंडई==विश्व जूनोसिस दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के मार्गदर्शन में तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आशीष शर्मा, जिला सर्विलेंस अधिकारी डॉ विद्या श्रीधरन एवं सहायक नोडल अधिकारी श्री नागेश सिमकर के समन्वय से जिले के समस्त खंड चिकित्सा अधिकारियों, चिकित्सकों, खंड विस्तार एवं प्रशिक्षण अधिकारियों, ग्रामीण चिकित्सा सहायकों, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, स्वास्थ्य संयोजकों, पर्यवेक्षकों, स्टाफ नर्सों एवं कार्यक्रम प्रबंधकों के लिए जूनोसिस रोगों एवं उनके प्रबंधन विषय पर दिनांक 5 जुलाई को एक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया।
वेबिनार की मुख्य वक्ता केरल के शासकीय मेडिकल कॉलेज की सह-प्रोफेसर डॉ आरती अच्युतन रहीं। उन्होंने ब्रुसिलोसिस, रेबीज़, स्क्रब टायफस जैसे प्रमुख जूनोसिस रोगों के कारण, लक्षण, उपचार एवं रोकथाम के उपायों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। साथ ही उन्होंने किसानों, पशुपालकों एवं ग्रामीण समुदाय में स्वास्थ्य शिक्षा एवं जन-जागरूकता अभियान चलाए जाने पर बल दिया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि दिनांक 7 जुलाई को जिले के समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप स्वास्थ्य केंद्रों में किसानों, पशुपालकों एवं संबंधित समुदायों की निशुल्क स्वास्थ्य जांच की जाएगी। साथ ही, स्वास्थ्य एवं पशु चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों द्वारा वर्चुअल माध्यम से स्वास्थ्य परामर्श एवं प्रेजेंटेशन भी उपलब्ध रहेगा।
वेबिनार के आयोजन में श्री खिलेश साहू (डीडीएम), श्री खेमराज साहू, सुश्री ऐश्वर्य साव (बीडीएम) एवं समस्त जन आरोग्य समिति सदस्यों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।
किसानों , पशुपालकों एवं पशु देखभाल करने वाले क्षेत्रों में ब्रूसिलोसिस रोग से बचाव के उपाय
1. संक्रमित पशुओं से दूरी बनाए रखें,,गर्भपात या बुखार से पीड़ित पशुओं को अन्य पशुओं से अलग रखें।संक्रमित पशुओं की पहचान पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
2. कच्चे दूध का सेवन न करें,,,,हमेशा दूध को उबालकर या पाश्चराइज करके ही सेवन करें।बिना उबाले दूध से संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
3. पशु प्रसव या सफाई के समय सावधानी,,,पशु का गर्भपात या डिलीवरी कराते समय हाथ में दस्ताने, मास्क और फेस शील्ड पहनें।ऐसे काम करने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं।
4. गर्भपात की सामग्री का सुरक्षित निपटान,,,पशु के गर्भपात के बाद निकले अवशेष (प्लेसेंटा आदि) को गड्ढा खोदकर गाड़ दें ।खुले में फेंकना अत्यंत हानिकारक होता है।
5. स्वच्छता बनाए रखें,,पशु शेड और उपकरणों को नियमित रूप से साफ और डिसइन्फेक्ट करें।
संक्रमित पशु का दूध, मूत्र या रक्त खुले में न बहने दें।
6. पशुओं की नियमित जांच,,,पशुओं की Brucellosis जांच नियमित रूप से कराएं।
संक्रमण की पुष्टि पर पशु को आइसोलेट करें और सरकारी पशु चिकित्सक को सूचित करें।
7. टीकाकरण (Vaccination),,,
पशुओं को नियमित रूप से Brucella वैक्सीन लगवाएं (विशेषकर बछियों को)।
पशुओं का टीकाकरण पशु चिकित्सा अधिकारी की सलाह से कराएं।
8. जनजागरूकता,,गाँवों में पंचायत, हाट-बाजार, महिला समूह, किसान संगठनों के माध्यम से लोगों को इस बीमारी की जानकारी दें।
जानवरों से मनुष्यों में होने वाले रोग जूनोटिक रोग होते हैं।
मानवों में ब्रूसिलोसिस (Brucellosis ) के लक्षण (यदि संक्रमित हो जाएं):
लंबे समय तक रहने वाला बुखार,,,शरीर में दर्द, थकावट,,,जोड़ों में सूजन,,,पसीना आना, खासकर रात में यदि ये लक्षण दिखाई दें और पशुओं से संपर्क रहा हो, तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराएं।
रेबीज (Rabies): किसानों, ग्रामीणों और पशुपालकों के लिए जानकारी
,,,,, क्या है रेबीज,,,
रेबीज एक घातक विषाणुजन्य (वायरल) बीमारी है, जो संक्रमित कुत्ते एवं अन्य जानवरों के काटने या खरोंचने से होती है। यह मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करती है।
,,,,,,,रेबीज के कारण,,,,,
संक्रमित कुत्ते या जानवर के काटने, चाटने, या खरोंचने से वायरस शरीर में प्रवेश करता है।यह वायरस लार (saliva) के माध्यम से फैलता है। मुख्य लक्षण (मनुष्य में),,,बुखार, सिरदर्द, बेचैनी,,
घाव वाली जगह पर जलन, झनझनाहट,,,
रोशनी, आवाज और पानी से डर लगना,,,
व्यवहार में बदलाव, चिड़चिड़ापन,,जल पीने में तकलीफ (Hydrophobia)
अंत में रोगी कोमा में चला जाता है और मृत्यु हो सकती है।,,,बचाव के उपाय (Preventive Measures)
1. कुत्ते/जानवर काटे तो तुरंत क्या करें?,,
घाव को 20 मिनट तक साबुन और साफ पानी से धोएं।,,,,
फिर डेटॉल या स्पिरिट से घाव को साफ करें।
तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर रेबीज का टीका लगवाएं।
2. टीकाकरण (Vaccination)
यदि कोई कुत्ता या जानवर काट ले, तो 5 डोज़ का रेबीज टीका समय पर पूरा करवाएं।
इम्यूनोग्लोब्युलिन इंजेक्शन (RIG) घाव के पास लगाया जाता है (अगर आवश्यक हो)।
3. पालतू पशुओं का टीकाकरण,,
पालतू कुत्तों और बिल्लियों को हर साल रेबीज का टीका जरूर लगवाएं।
गाय, भैंस, बकरी, बकरियों के संपर्क में आने वाले पशुपालक भी सतर्क रहें।
4. आवारा कुत्तों से दूरी रखें
बच्चों को आवारा कुत्तों से खेलने से रोकें।
गाँवों में कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण के लिए स्थानीय निकाय/पशु विभाग से संपर्क क


रें।
,,,,,,,,,ग्रामीणों के लिए संदेश,,,,,,
रेबीज का कोई इलाज नहीं है, लेकिन समय पर टीका लगवाकर जान बचाई जा सकती है।
काटने के बाद देरी जानलेवा हो सकती है।
"कुत्ते काटे तो डरें नहीं, फौरन टीका लगवाएं"