बहुत याद आते हैं राजा घनश्याम किशोर दास जी आज पंचम पुण्यतिथि पर स्मरण

बहुत याद आते हैं राजा घनश्याम किशोर दास जी-आज पंचम पुण्यतिथि पर स्मरण (562 देशी रियासतों में शुमार छुईखदान रियासत के पूर्व नरेश रहे श्री घनश्याम किशोर दास जी ) छुईखदान- आज पूरे पांच बरस हो रहे हैं इस नगर एवं रियासत के पूर्व नरेश राजा साहब घनश्याम किशोर दास जी को अपना देह त्याग कर अनंत मे विलिन हुए,आज ही के दिन लंबी बीमारी से संघर्ष करते हुए आपने अपने निज राजप्रसाद मे ही देह त्याग कर अनंत मे विलिन हो गए थे।

बहुत याद आते हैं राजा घनश्याम किशोर दास जी       आज पंचम पुण्यतिथि पर स्मरण

बहुत याद आते हैं राजा घनश्याम किशोर दास जी-आज पंचम पुण्यतिथि पर स्मरण

(562 देशी रियासतों में शुमार छुईखदान रियासत के पूर्व नरेश रहे श्री घनश्याम किशोर दास जी )

छुईखदान- आज पूरे पांच बरस हो रहे हैं इस नगर एवं रियासत के पूर्व नरेश राजा साहब घनश्याम किशोर दास जी को अपना देह त्याग कर अनंत मे विलिन हुए,आज ही के दिन लंबी बीमारी से संघर्ष करते हुए आपने अपने निज राजप्रसाद मे ही देह त्याग कर अनंत मे विलिन हो गए थे।

        एक राजा एवं महंत परिवार के संस्कार के अनुरूप ही आपने अपना संपूर्ण जीवन बड़े आन बान शान के साथ ही संस्कार एवं स्वाभिमान के साथ व्यतीत किया वहीं अपने आगामी पीढ़ी अर्थात राजकुमारो व राजकुमारीयो को शिक्षा प्रदान करने मे कोई कमी नही आने दिया,जिसका परिणाम यह है कि आपके दोनों ही सपूत इस रियासत एवं आपकी ख्याति सहित रियासती परंपराओ संबंधों को संतुलन के साथ आज भी निभा पा रहे हैं,वहीं पूरे परिवार को आज भी रानी साहिबा का पूरा स्नेह सहित सतत् मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

       जहां तक राजनिति के माध्यम से भी अपनी जनता की सेवा का प्रश्न है उक्त माध्यम से भी आपनें नगर पालिका परिषद छुईखदान का अध्यक्ष रहकर अपनी जनता एंव नगर की भरपूर सेवा की तो आपके पश्चात आपके उत्तराधिकारी भी इसी पथ पर चलकर नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर सतत दो बार निर्वाचित होकर नगर एवं जनता की सेवा किया है।

        जहां तक धार्मिक कर्मकांडों का सवाल है तो इस शहर की शुरूआत आज भी जय गोपाल के अभिनंदन के साथ ही होता है,भगवान नारायण को समर्पित श्री कृष्ण राम आदि की सतत् सेवापूजा की परंपरा राजप्रसाद में प्रारंभ काल से रही है जिसका निर्वहन आज भी होता आ रहा है जबकि तीज त्याहारों खासकर कृष्ण जन्माष्टमी को राजा साहब की ओर से भजन मंडलियो को बराबर न्यौता जाता रहा है,और कृष्ण जन्म के बाद भी घंटों भजन कीर्तन का दौर महल मे जारी रहता है।दूसरे दिवस नगर सहित आसपास ग्रामीण अचलो से लोग प्रभु दर्शन हेतु राजप्रसाद पहुंचते।

        आज राजा साहब हम सबके बीच नही हैं परन्तु नगर को उनका दिया हुआ संस्कार स्वाभिमानता और अपने मातृभूमि के प्रति ईमानदारी की सीख सबको आपकी याद दिलाती है पांचवीं पुण्यतिथि की बेला मे नगर एवं क्षेत्रवासियो की ओर से पुण्य स्मरण व भावांजलि स्वीकार करें।राजा साहब आप सदैव हमारे मन मस्तिष्क में याद आएंगे।

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