हर शख्स के वजूद का। पिता ही पहचान है ll

हर शख्स के वजूद का। पिता ही पहचान है ll पिता मेरा (नियाज़) है l बस उनका ही राज है।l डाक्टर मकसूद खान खैरागढ़ छुईखदान गंडई ::: फादर्स डे पर संगीत नगरी खैरागढ़ के रचनाकार (कवि) डाक्टर मकसूद खान ने अपनी रचना हमारा खबर, काम से साझा किया l

हर शख्स के वजूद का।                                      पिता ही पहचान है ll

हर शख्स के वजूद का।   

                                  पिता ही पहचान है ll 

पिता मेरा (नियाज़) है l 

                               बस उनका ही राज है।l 

डाक्टर मकसूद खान 

खैरागढ़ छुईखदान गंडई ::: फादर्स डे पर संगीत नगरी खैरागढ़ के रचनाकार (कवि) डाक्टर मकसूद खान ने अपनी रचना हमारा खबर, काम से साझा किया l

पिता ही मेरी इज्ज़त है, पिता ही मेरा मान है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                      

 पिता ही मेरी हिम्मत है, पिता ही मेरी जान है,

                 

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता ही हुक्मरान है, पिता ही मेरी आन है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                        

पिता की उस्तादी है, तो पिता ही मेरी शान है,

                    

   हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता से मेरी मेहनत है, पिता ही मेरी ताकत है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                       

 पिता की सरपरस्ती है, पिता ही मेरी दौलत है,

                       

 हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता की खिदमत है, पिता ही मेरी शोहरत है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                        

पिता की सच्चाई है, पिता ही मेरा ईमान है,

                        

हर शख़्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता वो शख़्स है, पिता मे रब का अक्स है,

हर शख़्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                         

 पिता निगेहबां है, वो इंसानियत का नक़्श है,

                         

 हर शख़्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता बड़ा मेहरबां है, पिता ही मेरा शुक्र है,

हर शख़्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                         

 पिता बड़ा क़द्रदान है, पिता ही मेरा फ़क्र है,

                         

 हर शख़्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता मेरी उम्मीद है, पिता का ही एहसान है,

हर शख्स के वजूद का पिता ही पहचान है।

                        

 पिता ही मेरा साहस है, पिता ही अभिमान है,

                        

 हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता मेरा हौसला है, तो पिता ही मुस्कान है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                       

  पिता ही मेरी जमीन है, पिता ही आसमान है,

                        

 हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

पिता की रहनुमाई है, पिता ही मेरा जहान है,

हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

                    

    पिता मेरा 'नियाज़' है, बस उनका ही 'राज' है,

                        

    हर शख्स के वजूद का, पिता ही पहचान है।

डॉ. मक़सूद खान ''राज''

फ़ादर्स डे पर ख़ास"

"हर औलाद का, वालिद को सलाम,

पिता आप पर 'राज', पढ़े रोज कलाम।"