सर्व धर्म समभाव के तरफदार मरहूम जामिन खान आज याद आ गए
सर्व धर्म समभाव के तरफदार मरहूम जामिन खान आज याद आ गए आज तीसरी बरसी पर हम सब नतमस्तक है आपके जैसा नगर का कोई दूसरा पैरोकार नहीं छुईखदान=--- इस शहीद नगरी मे रियासत काल और छुईखदान रियासत मे अपनी फौजदारी सेवाओ के लिए विख्यात छुईखदान मुस्लिम जमात के फौजदार घराने के राजदरबार के अंतिम दरबान मरहूम गोटू खां पीढ़ी के चश्मोचिराग, नगर और नगरजनो से सदैव सर्व धर्म समभाव, और गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकार,एक मात्र हजरत सैयद बाबा गुलाब शाह दरगाह के खिदमतगार मरहूम जामिन खांन ( जालिम मियां ) को 87 बरस की उम्र में ( रमजान के पांचवा रोजा के चाँद के छठवीं ) की शाम को इस दुनिया को अलविदा कहे तीन साल गुजर गए,l
सर्व धर्म समभाव के तरफदार मरहूम जामिन खान आज याद आ गए
आज तीसरी बरसी पर हम सब नतमस्तक है
आपके जैसा नगर का कोई दूसरा पैरोकार नहीं
छुईखदान=--- इस शहीद नगरी मे रियासत काल और छुईखदान रियासत मे अपनी फौजदारी सेवाओ के लिए विख्यात छुईखदान मुस्लिम जमात के फौजदार घराने के राजदरबार के अंतिम दरबान मरहूम गोटू खां पीढ़ी के चश्मोचिराग, नगर और नगरजनो से सदैव सर्व धर्म समभाव, और गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकार,एक मात्र हजरत सैयद बाबा गुलाब शाह दरगाह के खिदमतगार मरहूम जामिन खांन ( जालिम मियां ) को 87 बरस की उम्र में ( रमजान के पांचवा रोजा के चाँद के छठवीं ) की शाम को इस दुनिया को अलविदा कहे तीन साल गुजर गए,l
यहां यह बताना भी लाजिमी होगा कि मरहूम जामिन खांन और आपके वालिदे मोहतरम मरहूम गोंटू खां मिलकर रियासत और (राजमहल) फूलवारी की देखरेख करते थे और जब भी कोई हिन्दू तीज त्यौहार आता तो नगरजनो को खासकर बड़े बड़े परिवारो मे रंगबिरंगी खुशबूदार फूल व मालाओ की आपूर्ति आपकी जवाबदारी होती थी,खासकर दशहरा दिपावली के अवसर पर, आज भी जब लोग यहाँ के बाग,,,, बसस्टैण्ड,,,,दरगाह ,,,, के सामने से गुजरते हैं तो सहसा मरहूम जामिन खांन को याद कर जाते हैं।
मरहूम जामीन खांन अपने पीछे तीन पुत्रों एक पुत्री का भरापूरा परिवार छोड़ गए है,और उन्हे भी अपने और पूर्वजो की तरह ही इस भाईचारे और सामाजिक एकता का संदेश देकर अलविदा कहा है, कहना न होगा कि आज आपकी संताने आपकी दी गई सीख का बखूबी पालन करते चले आ रहे है, पर खांन साहब आपके कहने कुछ और थे,मजाल है कि छुईखदान की धरती पर खड़े होकर कोई बाहरी इस नगर की या यहां के लोगो की निंदा कर जाए,वही आज भी जब दिपावली आती है तो नगर के व्यापारीगण मरहूम जामि
न खांन और उनके खूशबूदार मालाओ को जरूर याद करते है,तो गर्मी आने पर बस स्टैण्ड मे यात्रीयो के लिए ठंडे पानी की पहुच पर भी याद किए जाते है। आपने देश की आजादी को अपने आँखों से देखा होगा l शायद यही वजह होगी शहर के तरफदारी का l
आज खांन साहब आपको इंतकाल किये तीन बरस हो रहा है, एक बार रूखसत होने के बाद फिर कोई लौटकर नही आता है परन्तु जीवन रहते उसकी नेकी और उनके अमाल बार-बार उस सख्स की याद दिला जाती है,भले ही आज वो ठंडे पानी की गिलास नही है,तीज त्यौहार पर भगवान के लिए वो खुशबूदार गजरे और माले नही है,आपके अंदाज जैसा इस शहर का कोई दूसरा पैरोकार नही है,बस वक्त का यही वह मंजर होता है जब आप बेहद याद आते है, आपकी इस तीसरी बरसी पर हम सभी आपके परिवार और चाहने वालो की तरफ से मोहब्बत भरी यादें।