भागवत कथा सुनने उमड़ा जन सैलाब स्वागत करने पुरा शहर उमड़ पड़ा
भागवत कथा सुनने उमड़ा जन सैलाब - स्वागत करने पुरा शहर उमड़ पड़ा चाय वाले बाबा का राजमहल में शुरु हुआ भागवत कथा छुईखदान:- अगहन के इस पावन पवित्र माह में छ.ग.की चैदह रियासतों में से एक शिक्षा संस्कार साहित्य एवं धर्म नगरी (छोटा वृन्दावन)और महंतों,राजाओं के निजनिवास में छ.ग. के ख्यातिलब्ध ज्योतिष त्रिकालदर्शी,भागवतकथा मर्मज्ञ राजधानी रायपुर के समीप सिलयारी ग्राम निवासी आचार्य नरेन्द्र नयन शास्त्री के श्रीमुख से प्रवाचित श्रीमद् भागवत कथा सत्संग सप्ताह का आयोजन राजमाता राजश्री देवी कुंवर देवराज किशोर दास.गिरिराज किशोर दास छुईखदान राजपरिवार की ओर से आयोजित किया गया है,जिसे लेकर न केवल नगर मंे अपितु क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
भागवत कथा सुनने उमड़ा जन सैलाब स्वागत करने पुरा शहर उमड़ पड़ा
चाय वाले बाबा का राजमहल में शुरु हुआ भागवत कथा
छुईखदान:- अगहन के इस पावन पवित्र माह में छ.ग.की चैदह रियासतों में से एक शिक्षा संस्कार साहित्य एवं धर्म नगरी (छोटा वृन्दावन)और महंतों,राजाओं के निजनिवास में छ.ग. के ख्यातिलब्ध ज्योतिष त्रिकालदर्शी,भागवतकथा मर्मज्ञ राजधानी रायपुर के समीप सिलयारी ग्राम निवासी आचार्य नरेन्द्र नयन शास्त्री के श्रीमुख से प्रवाचित श्रीमद् भागवत कथा सत्संग सप्ताह का आयोजन राजमाता राजश्री देवी कुंवर देवराज किशोर दास.गिरिराज किशोर दास छुईखदान राजपरिवार की ओर से आयोजित किया गया है,जिसे लेकर न केवल नगर मेँ अपितु क्षेत्र में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
आयोजन के प्रथम दिवस भगवान श्रीकृष्ण चंद्र जी व भागवत पोथी केा साथ लेकर नगर की ंहजारों श्रद्धालु मातृशक्तियों,नयनाभिराम झांकियों,आतिशबाजियों व डी जे के थाप,व आचार्य श्री के एक झलक दर्शन पाने हेतु नगर के धर्मप्रेमी परिवारों द्वारा जगह जगह यथाशक्ति फूलमाला दीप तिलक नारियाल भेंट कर स्वागत किया गया वहीं राजप्रसाद से निकलनें वाली इस शोभायात्रा जिसका एक छोर से दूसरे छोर को देखना तक मुश्किल हो रहा था नगर की आराध्या देवी मां काली मंदिर पहुंचकर आयोजन के निर्विध्न सफलता का आर्शीवाद लिया वही रियासतकालीन तालाबों में से एक छोटे तालाब के कालीघाट से जल ग्रहण कर जेठू ठेला चैक,बाजारलाईन बसस्टैण्ड कन्याशाला जमुना चैक होते पुनः राजमहल पहची जहां पर घट स्थापना श्रीगणेश पूजन सहित विभिनन औपचारिकताओं के साथ ही कथा प्रारंभ हुआ जिसमें सर्वप्रथम गौकर्ण कथा प्रारंभ हुआ।
उक्त कथा के साथ ही आचार्य श्री नें वर्तमान में संयुक्त परिवार के विघटन से हेा रही पारिवारिक क्षति एवं पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित एक परिवार की स्थापना और उसके दुष्प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए त्रेतायुग मेँ
रामायण के प्रसंग व राजा दशरथ के विवाह उपरांत संयुक्त परिवार में फूट डालनें वाले विघटन कारी मंथरा की भूमिका पर सारगर्भित प्रकाश डालते हुए बताया कि आज घर-घर और मोहल्ले मोहल्ले मंे मथरा बैठी है जो भाई भाई को एवं उनके परिवार को छिन्न-भिन्न करने पर तुली हुई है ंहमे अपने गुरूओं के मार्गदर्शन,विभिन्न धर्मग्रंथों के अध्ययन एवं चिंतन मनन करते हुए परिवार को विघटित होनें से बचाना होगा तभी हमारा समाज राज्य धर्म और देश का जय विजय हो सकेगा और पुनः भारत और सनातन विश्वगुरू कहलाएगा,जिसकी शुरूआत अब हो चुकी है और जब तक हमारा देश विश्व में पुनः विश्वगुरू नही बन जाता हम सभी की यह जवाबदारी है कि हम छोटी छेाटी ईकाईयों में ही सही सनातन,और विश्व मानचित्र में भारत के प्रभुत्व के लिए सतत प्रयास करते रहें।
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