अवैध ईंट भट्ठों की छेत्र मे भरमार

अवैध ईंट भट्ठों की छेत्र मे भरमार ईंट पकाने के लिए झोंक दिए जाते हैं हरे-भरे वृक्ष कार्रवाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति लाल ईंट का भण्डार,,, छेत्र में मचा है हाहाकार छुईखदान -=- लगभग दो लाख की आबादी वाले इस विकासखंड में दिन प्रतिदिन नए पक्के मकानों का निमांण हो रहे है,

अवैध ईंट भट्ठों की छेत्र मे भरमार

अवैध ईंट भट्ठों की छेत्र मे भरमार

 ईंट पकाने के लिए झोंक दिए जाते हैं हरे-भरे वृक्ष

कार्रवाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति

लाल ईंट का भण्डार,,, छेत्र में मचा है हाहाकार 

छुईखदान -=- लगभग दो लाख की आबादी वाले इस विकासखंड में दिन प्रतिदिन नए पक्के मकानों का निमांण हो रहे है, जिसे बनाने के लिए पांच से दस हजार ईंट जरूरत पड़ रहा है। फ़लाई एस तथा शासन द्वारा अनुमति प्राप्त वैध ईंट भट्टों की तादाद सीमित है, जिनके पास निर्मित ईट और बिक्रित इंट आदि का रसीद होते हैं इसके बावजूद पूरे क्षेत्र को निजी घर और शासकीय भवन आदि के लिए इतनी बड़ी तादाद में इंट कहां से आते हैं यह जांच का विषय है।

इस क्षेत्र के प्रमुख प्रशासनिक कार्यालय जैसे तहसील एवं जनपद कार्यालय सहित उन लोगों के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ है जो ईमानदारी से नियमों का पालन करते हुए इंटों का निर्माण और विक्रय करते हैं, परन्तु ऐसे अवैध ईट निर्माण एवं निर्माताओं के खिलाफ कार्यवाही की उम्मीद कुछ ईमानदार लोगों को उस समय झटका लगता है जब प्रशासन की ओर से मुख्यालय से मात्र तीन पाँच से सात दस किमी की दूरी पर स्थित ऐसे भट्टों पर कार्यवाही नहीं हो पाती ?

     ज्ञात हो की पुरे ब्लॉक में अवैध ईट भट्टों पर आज तक कार्यवाही नहीं हुईं है, जिसके चलते कुछ रसूखदार निर्माताओं के हौसले बुलंद हैं। आलम यह है कि इस छेत्र में शासकीय अनुमति प्राप्त इंट भट्ठे नहीं है। सवाल यह है कि शासकीय भवनों, स्कूलों, शौचालयों सहित अन्य कार्यों में अवैध इंट कैसे खप रहा है। अंचल में वृक्षों की अवैध कटाई के कारण क्षेत्र का पर्यावरण संतुलन तेजी से गिर रहा है, इसका साफ उदाहरण यह है कि गत दस वर्षों से इस क्षेत्र में साल दर साल बारिश कम हो रही है। यह एक अंदाज नहीं शासकीय आंकड़ा भी कह रहा है। इसे लेकर क्षेत्र के किसान, मजदूर और व्यापारी चिंतित है। लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो आने वाले समय में यह क्षेत्र पूरी तरह से सूखाग्रस्त हो जाएगा, जिसके जवाबदार वह लोग तो होंगे ही जो अवैध इंट भठ्ठे जो इस निर्माण में संलग्न है साथ ही वह भी जो कृत्य को देखने के बाद भी आख मूंदकर खेल देख रहें हैं।

   वन विभाग का कार्यवाही से चूप्पी

 वैसे तो यह छेत्र कीमती लकड़ियों के लिए पुरे देश में मशहूर रहा है इसका मतलब यह नहीं की इस छेत्र में अन्य जंगल नहीं है इस मामले में वन विभाग की भूमिका में सवाल खड़े होने लगे हैं। जब कभी भी वन विभाग के सामने वृक्षों की अवैध कटाई का मामला आता है तो वह केवल जंगल वृक्षों के प्रति ही अपनी जवाबदारी होने के प्रति गंभीर हो जाता है, जबकि हरे वृक्ष चाहे किसी का हो धड़ल्ले से चल रहें अवैध ईंट भट्टो में खप रहें है इसके लिए कार्यवाही क्यों न हो ?

 दो सौ के आसपास होंगे अवैध ईंट भट्टो का जखीरा

 107 ग्राम पंचायत और दो नगर पंचायत वाला यह विकास खंड में हजारो की तादात में प्रधानमंत्री आवास निर्माणाधीन है जिसमे एक जानकारी के मुताबिक पूरे क्षेत्र में लगभग दो से तीन सौ अवैध ईट भट्टो का संचालन होना बताया जा रहा है, जहां से लगभग एक लाख ईट प्रति भट्टा निर्माण एवं विक्रय किये जाने की चर्चा है। जिनकी शिनाख्त कर कार्यवाही अपेक्षित है। प्रशासन को इसके तह तक पहुंचने के लिए ठोस कदम उठाते हुए निर्माताओं के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने का प्रावधान रखना होगा l

जानकारी के अनुसार क्षेत्र में चल रहे शौचालय और आवास निर्माण में इन भटठों के इंट खपा दिए गए हैं, जबकि नियमानुसार चिमनी ईट या फ्लाई एस ईंट का उपयोग किया जाना था, लेकिन जन प्रतिनिधियों की मिलीभगत और कर्मचारियों की कमीशनखोरी के चलते सबकुछ वैच अवैध खप गया। जानकारी के मुताबिक अवैध ईट भटठो में बड़ी संख्या में बबूल, इमली, शिरिश, बिरहा, नीम, बेर आदि के हरे भरे वृक्षों की कटाई कर इंट पकाने के लिए झोंक दिया जाता है । लकड़ी खपाने का यह खेल दस से पंद्रह वर्षों से चल रहा है।

             एक अनुमान के मुताबिक अब तक इन ईंट भट्टो में दो लाख हरे-भरे वृक्षों को अवैध ईट के निर्माताओं ने खाक कर दिया गया होगा ।जिसके लिए कहीं भी हो उसको काटने के लिए भी नियम होना चाहिए और उपयोगिता के आधार पर काटने की अनुमति देने का प्रावधान होना चाहिए। देखा जा रहा है कि ऐसे इंट निर्माताओं द्वारा वन विभाग के कार्यालय के सामने दर्शित वृक्षों की कटाई कर ट्रैक्टर आदि से भटठौ तक पहुंचाया जाता है। वन विभाग अपनी भूमिका को व्यापक रखे तो ग्रामीण क्षेत्रों की हरियाली बचाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि छिंदारी,देवरचा बूढानभाठ भुलाटोला हाटबजा, बिरुटोला खुडमुड़ी कानीमेरा, कोहलाटोला,साखा, कोर्राय झुरानदी, पैलीमेटा, ठाकुरटोला, सल्हेवारा गंडई सहित अन्य क्षेत्र में लगभग 200 के आसपास अवैध ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं जहां जंगल से लकड़ी लाकर खपाया जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि वन समिति वाले भी इस कार्य में मददगार बने हुए हैं ?

 अवैध ईट निर्माण के खिलाफ पटवारी, कोटवार, सचिव, सरपंचों को एक युनिट बनाकर अवैध ईट निर्माण के खिलाफ कार्यवाही तय किए जाने से पर्यावारण को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है।

अन्य प्रदेश से आकर कर रहें निर्माण

वैसे तो इस छेत्र में अवैध ईंट बनाकर बेचने वालो की कमी नहीं है लेकिन कुछ वर्षो से यह भी देखा गया है जिसमें अन्य प्रदेश (मध्यप्रदेश ) रीवा मंडला आदि स्थानो से आकर जमीन किराये पर लेकर ईंट का निर्माण कर भट्ठे संचालित किये जा रहें है l जिसे ले

कर ग्रामीण छेत्र में विरोध का माहौल बनने लगा है l जिसे लेकर ग्रामीण चिंतित दिख रहें है l

     छेत्र वासियो ने की कार्यवाही की मांग

 अवैध रूप से चलाये जा रहें ईंट भटठो के ऊपर कार्यवाही की मांग को लेकर ग्रामीण जन एक होने लगे है, ग्रामीणों ने एक स्वर में अवैध ईंट भटठो के ऊपर कार्यवाही किये जाने की माँँग किये है, जिसे लेकर आने वाले दिनों में उच्च अधिकारियो तक शिकायत किये जाने की तैयारीयां चल रहा है l