छिंदारी बाँध के जंगल मेँ दिखा तेंदुआ शावक संग मादा तेंदुआ दिखनें से क्षेत्र में उत्साह

छिंदारी बाँध के जंगल मेँ दिखा तेंदुआ शावक संग मादा तेंदुआ दिखनें से क्षेत्र में उत्साह पर सुरक्षा का भी सवाल ( छिंदारी जलाशय के नथेला उलट के पास देखा गया शावक संग मादा तेंदुआ ) छुईखदान:-अभी क्षेत्र में तेंदुआ,हिरण,भालू दिखनें की खबर बासी भी नही हुई है और क्षेत्र की जीवन दायिनी रानी रश्मिदेवी जलाशय के नथेला क्षेत्र केे उलट के पास अपनें शावक सहित मादा तेंदुआ दिखने से जहां प्रकृति और वन्य पशु पक्षी प्रेमीयों में उत्साह का वातावरण है वहीं नजदीकी ग्रामीणों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है

छिंदारी बाँध के जंगल मेँ दिखा तेंदुआ            शावक संग मादा तेंदुआ दिखनें से क्षेत्र में उत्साह

छिंदारी बाँध के जंगल मेँ दिखा तेंदुआ शावक संग मादा तेंदुआ दिखनें से क्षेत्र में उत्साह पर सुरक्षा का भी सवाल 

     ( छिंदारी जलाशय के नथेला उलट के पास देखा गया शावक संग मादा तेंदुआ )

छुईखदान:-अभी क्षेत्र में तेंदुआ,हिरण,भालू दिखनें की खबर बासी भी नही हुई है और क्षेत्र की जीवन दायिनी रानी रश्मिदेवी जलाशय के नथेला क्षेत्र केे उलट के पास अपनें शावक सहित मादा तेंदुआ दिखने से जहां प्रकृति और वन्य पशु पक्षी प्रेमीयों में उत्साह का वातावरण है वहीं नजदीकी ग्रामीणों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है लोगों नें वन्य पशुओं की सुरक्षा सहित ग्रामीणों को भी सुरक्षा देनें की मांग के तहत वन विभाग से उक्त मादा तेंदुआ उसके नर व शावक को निगरानी मंे रखते हुए अन्यत्र पहुंचानें की मांग रखी है ताकि मानव संसाधन सहित वन्य संसाधनों की भी सुरक्षा की जा सके।

                            पर्यटन क्षेत्र बनाने की उठने लगी मांग

        उक्त मामलें में पुरानी अखबार को भी यहां पर खंगाला जाना आवश्यक माना जा रहा है कि जब क्षेत्र के पूर्व विधायक स्व राजा देवव्रत सिंह जी अपने कार्यकाल मे ही इस क्षेत्र को अभ्यारण्य का दर्जा देने का सपना देखा था और अब जबकि मादा तेंदुआ अपनें शावक के साथ दिखनें के बाद यह बात और भी बलवती हो गई है कि वन्य सुुदरता और वन्यजीवों से समृद्ध यह छुईखदान क्षेत्र का जंगल आज भी अलग से वन्य अभ्यारण्य बनने का भरपूर क्षमता रखता है।

                         

                          सुरक्षा को लेकर हो रही चिन्ता

    उक्त मामले में छुईखदान से बकरकट्टा मार्ग अपनें आप में मील का पत्थर साबित हो सकता है,बताया जा रहा है कि उक्त मादा तेंदुआ और उसके शावक को विचरण करते चार पंाच दिन हो गए है परन्तु क्षेत्रीय ग्रामीणों नें अभी तक उस दंपत्ति को कोई भी क्षति नही पहुचाई है अब मामला उन लोगो के उपर है जो इन्हे सुरक्षा प्रदान कर सकते हैंं क्योंकि ग्रामीण अंचल के इतनें करीब आ जाने के बाद मादा तेंदुआ और उसके शावक को देखने के लिए दिन के उजाले के साथ ही रात के अंधेरों में भी लोगों का आना जाना लगा रह सकता है एैसे में वन विभाग की जवाबदारी और भी बढ़ जाती है ताकि इस क्षेत्र के वन्य संपदा को पूरा सुरक्षा और संरक्षण प्रदान किया जा सके।

                         घुमने गए पर्यटको ने देखा तेंदुए को 

        श्यामपुर निवासी पिन्टू सेन ने बताया कि वेा 15 तारीख को अपने रिश्तेदारों के साथ डेम घुमने गए थ्ेा। जो नथेला उलट के पास पहूंच गए उसके बाद जब वे लोग वापस आ रहे थे। तो एक कोने से आवाज आई । तो उसी ओर जा कर देखने लगे । तब उनको तेंदुआ के बच्चे को खेलते देखा। फिर कुछ देर बाद मादा तेंदूआ

आया और बच्चे तेंदुआ को उठाकर झुरमुट में ले गया। जिसका उन लोगों ने विडियों भी बनाया है। इससे ऐसा लगता है। कि आसपास ही नर तेंदुआ भी होगा।

          कहना ना होगा कि कुछ वर्ष पूर्व इसी वन्य क्षेत्र मेँ बाघ दिखने की भी खबर मिली थी,जिसे लेकर समाचार पत्रों के द्वारा क्षेत्र की वन्य ंसंपदा को लेकर सुरक्षा और अभ्यारण की योग्यता पर विस्तार से प्रकाशित किया था आगे देखना यह है कि इस मादा तेंदुआ और उसके शावक को कितनी सुरक्षा मिल पाती है और इस क्षेत्र में वन्यप्राणी संपदा में और कितनी बढ़ोत्तरी हाे कर इस क्षेत्र केा अभ्यारण्य की सौगात मिल पाती है।