भक्तों से मिलने उनके घर तक पहुंचे प्रभु जगन्नाथ (सराहनीय- जय जगन्नाथ सेवा समिति का भंडारा)

भक्तों से मिलने उनके घर तक पहुंचे प्रभु जगन्नाथ (सराहनीय- जय जगन्नाथ सेवा समिति का भंडारा) छुईखदान- प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी परंपरानुसार छुईखदान नगर में प्राचीन रियासत कालीन जगन्नाथ मंदिर बड़े जमात से भगवान जगन्नाथ जी अपने भक्तो से मिलने के लिए अपने निजधाम से निकलकर पूरे नगर का भ्रमण कर भक्तो को दर्शन देकर मुलाकात की इस दौरान नगर से दस बीस किलोमीटर से अधिक दूरी तक का सफ़र कर अपनी मनोकामना,अपनी समस्या अपनी मांगे प्रभु के समक्ष रखी तो इधर भगवान भी भक्तो के वश मे होकर गजा-मूग के प्रसाद के रूप मे अपना आशीष देते रहे।

भक्तों से मिलने उनके घर तक पहुंचे प्रभु जगन्नाथ  (सराहनीय- जय जगन्नाथ सेवा समिति का भंडारा)

 भक्तों से मिलने उनके घर तक पहुंचे प्रभु जगन्नाथ 

(सराहनीय- जय जगन्नाथ सेवा समिति का भंडारा)

छुईखदान- प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी परंपरानुसार छुईखदान नगर में प्राचीन रियासत कालीन जगन्नाथ मंदिर बड़े जमात से भगवान जगन्नाथ जी अपने भक्तो से मिलने के लिए अपने निजधाम से निकलकर पूरे नगर का भ्रमण कर भक्तो को दर्शन देकर मुलाकात की इस दौरान नगर से दस बीस किलोमीटर से अधिक दूरी तक का सफ़र कर अपनी मनोकामना,अपनी समस्या अपनी मांगे प्रभु के समक्ष रखी तो इधर भगवान भी भक्तो के वश मे होकर गजा-मूग के प्रसाद के रूप मे अपना आशीष देते रहे।

           (रियासत कालीन परंपरा)

     जानकारी के मुताबिक सैकड़ो वर्ष प्राचीन इस बड़े जमात (जगन्नाथ मंदिर ) मे प्राचीन रियासत काल से ही रथयात्रा के प्रमाण मिलते है,बताया जाता है कि रियासत की बागडोर अपने स्थापना काल से ही वैष्णव राजाओ के हाथो मे होने का असर साफ साफ दिखाई देता है,जहा श्री नारायण के विभिन्न अवतारो की सर्वत्र साधना उपासना सतत् ज्री रहती है,इसी क्रम मे रथयात्रा भी यहां पूरे उत्साह भक्तिभाव से निकाली जाती है,पूर्व मे भगवान जगन्नाथ भैया बलभद्र बहन सुभद्रा के साथ मंदिर से निकलकर पूरे नगर का भ्रमण कर अगले नौ दिनो तक यहां मौसी के घर के रूप मे राजमहल मे ही निवास करते थे तथा एकादशी के दिन पुनः अपने धाम मंदिर मे आते थे,परन्तु वर्तमान मे अब भगवान दोपहर बाद लगभग पांच बजे मंदिर से निकलकर पुनः मंदिर आ जाते है,कहना ना होगा कि इस विहंगम दृश्य और भगवान का रथ खींचकर अपने जीवन को धन्य करने की आसमे बीस हजार की तादाद तक भक्तगण का आना होता है।

(मित्रता का अटूट रिश्ता- गजा-मूग)

छत्तीसगढ की सामाजिक तानेबाने मे से एक गजा-मूग का बदना है जब दो मित्र रथयात्रा के दिन भगवान का गजा-मूग का प्रसाद हाथो पर लेकर जीवन भर एक दूसरे का हर सुखदुख मे साथ निभाने का कसम खाकर एक दूसरे को गजा-मूग का प्रसाद खिलाते है।

(जय जगन्नाथ समिति का भंडारा)

     हर बरस की तरह इस बार भी नगर की अग्रणी संस्था जय जगन्नाथ सेवा समिति का पुराने पुलिस थाना चौक पर लगने वाला भंडारा पंडाल आज भी आकर्षण का केन्द्र रहा,समिति की ओर से लगभग दस हजार लोगो के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई, जिसके तहत तीन क्विंटल चावल मूगदाल शाकाहारी सब्जीयो से बना खिचड़ी हलवा पूडी सब्जी पोहा केला चना मुर्रा आदि वितरण किया जिसकी चहुऔर प्रसंशा हो रही है।

  (जगन्नाथ मंदिर का सामने का चौरा धसका)

     जब रथयात्रा वापस मंदिर पहुचा तब संध्या आरती के बाद मंदिर के गर्भगृह के सामने का भूमिगत भाग लगभग 8/4 का बरामदे का हिस्सा धंस गया, जिससे वहाँ पर उपस्थित श्रद्धालु गण दहसत में आ गए, विश्वस्त सूत्रों से पता चला है उक्त घटना में कुछ श्रद्धांलुओं को चोंटे आने कि जानकारी मिली है,,ज्ञात हो कि उक्त घटना कि चर्चा देखते ही देखते पूरे शहर में फ़ैल गया,, और घटना स्थल को देखने वालो कि भीड़ देर रात बनी रही,, भक्तो ने कहाँ ये भगवान का हम श्रद्धांलुओं के ऊपर कृपा है, जो बड़ी दुर्घटना से बचा लिए,, ज्ञात हो कि उक्त मंदिर के ऐसा माना जाता है कि मंदिर के निचे सुरंग जैसा बना हुआ जिसने साधु संतो का डेरा रहता था,,इस मंदिर के बारे नगर के बुजुर्ग बताते है उक्त मंदिर ढाई सौ बरस पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए श्रद्धांलुओं को भीड़ बनी रहती है,,

     इस तरह रथयात्रा का यह महापर्व शांतिपूर्ण ढ़ंग से बिना किसी अप्रिय घटना के सम्पन्न हुआ।